गुरुग्राम, भारत का एक प्रमुख आर्थिक और तकनीकी केंद्र, अपनी चमकदार गगनचुंबी इमारतों, आईटी हब और स्टार्टअप संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह शहर न केवल कॉरपोरेट्स का गढ़ है, बल्कि लाखों प्रवासी और स्थानीय मजदूरों का भी रोजगार केंद्र है। हालांकि, हाल के वर्षों में गुरुग्राम का श्रम बाजार कई चुनौतियों से जूझ रहा है, खासकर अनौपचारिक क्षेत्र में। इस लेख में हम गुरुग्राम के श्रम बाजार की वर्तमान स्थिति, इसके कारणों, चुनौतियों, भविष्य की नीतियों और अन्य समान शहरों से प्रेरणा के बारे में चर्चा करेंगे।
गुरुग्राम के श्रम बाजार की स्थिति
गुरुग्राम में रोजगार के अवसर आईटी, बीपीओ, विनिर्माण, आतिथ्य और निर्माण जैसे क्षेत्रों में प्रचुर हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, और टीसीएस जैसी वैश्विक कंपनियाँ यहाँ मौजूद हैं। लेकिन अनौपचारिक क्षेत्र, जिसमें घरेलू सहायक, सफाई कर्मचारी, और दिहाड़ी मजदूर शामिल हैं, हाल ही में संकट का सामना कर रहा है। जुलाई 2025 में अवैध प्रवासियों, विशेष रूप से बांग्ला भाषी मुस्लिम मजदूरों, पर पुलिस की सत्यापन कार्रवाई के कारण बड़े पैमाने पर पलायन हुआ। इससे कचरा संग्रहण, घरेलू सेवाएँ, और कॉरपोरेट हाउसकीपिंग जैसे कार्य प्रभावित हुए, जिसका असर शहर की दैनिक जिंदगी पर पड़ा।
श्रम बाजार की चुनौतियों के कारण
पुलिस कार्रवाई और प्रवासी पलायन: अवैध प्रवासियों पर पुलिस की कार्रवाई ने कई मजदूरों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर किया। ये मजदूर मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और असम से आए थे और घरेलू सहायक, ड्राइवर, और सफाई कर्मचारी के रूप में काम करते थे। डर के माहौल ने श्रम की भारी कमी पैदा की।
अनौपचारिक रोजगार की प्रबलता: गुरुग्राम का श्रम बाजार काफी हद तक अनौपचारिक क्षेत्र पर निर्भर है, जहाँ मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, या स्थायी रोजगार जैसे लाभ नहीं मिलते। यह अस्थिरता मजदूरों और नियोक्ताओं दोनों के लिए चुनौती है।
कौशल बेमेल: वैश्विक स्तर पर बढ़ती तकनीकी माँगों के कारण गुरुग्राम में तकनीकी और बहुभाषी कौशलों की आवश्यकता है। लेकिन स्थानीय और प्रवासी मजदूरों में इन कौशलों की कमी है, जिससे रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं।
स्थानीय युवाओं की प्राथमिकताएँ: हरियाणा के स्थानीय युवा कम वेतन वाली नौकरियों (15-20 हजार रुपये) के लिए गुरुग्राम जाने से हिचकते हैं और अपने गाँवों के पास कम वेतन (8-10 हजार रुपये) की नौकरियों को चुनते हैं। इससे अनौपचारिक क्षेत्र में प्रवासी मजदूरों पर निर्भरता बढ़ती है।
वैश्विक और स्थानीय आर्थिक दबाव: कोविड-19 महामारी के बाद आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और वैश्विक आर्थिक सुस्ती ने गुरुग्राम के उद्योगों को प्रभावित किया। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक तनाव भी श्रम बाजार पर दबाव डाल रहे हैं।
प्रमुख चुनौतियाँ
श्रम की कमी: पुलिस कार्रवाई के बाद घरेलू सहायकों, सफाई कर्मचारियों, और रखरखाव कर्मचारियों की कमी ने शहर की सेवाओं को बाधित किया है। कचरा जमा होना और घरेलू सेवाओं का ठप होना इसका उदाहरण है।
सामाजिक तनाव: कुछ सोशल मीडिया दावों में कहा गया कि गुरुग्राम में 80% कामगार रोहिंग्या या बांग्लादेशी मूल के हैं। इन पर चोरी जैसे आरोपों ने सामाजिक तनाव को बढ़ाया, जिससे मजदूरों और स्थानीय लोगों के बीच अविश्वास पैदा हुआ।
महिला श्रम भागीदारी की कमी: भारत में 2025 में महिला श्रम भागीदारी दर 31.7% है, जो अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से कम है। गुरुग्राम में सुरक्षित परिवहन और डेकेयर सुविधाओं की कमी इस समस्या को और गंभीर बनाती है।
तकनीकी परिवर्तन और स्वचालन: एआई और स्वचालन की बढ़ती माँग ने बीपीओ और आईटी क्षेत्रों में नए कौशलों की आवश्यकता को बढ़ाया है, जिसके लिए मजदूर तैयार नहीं हैं।
भविष्य की नीतियाँ और सुझाव
पारदर्शी सत्यापन प्रक्रिया: प्रवासी मजदूरों के लिए एक व्यवस्थित और मानवीय सत्यापन प्रणाली लागू की जानी चाहिए। यह डर के माहौल को कम करेगा और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करेगा।
अनौपचारिक क्षेत्र का औपचारिकीकरण: मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, और न्यूनतम वेतन जैसे लाभ प्रदान करने से उनकी स्थिति स्थिर होगी और अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
कौशल विकास कार्यक्रम: सरकार और निजी क्षेत्र को तकनीकी और बहुभाषी कौशलों पर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। यह स्थानीय और प्रवासी मजदूरों को उच्च-मूल्य वाली नौकरियों के लिए तैयार करेगा।
महिला श्रम भागीदारी को प्रोत्साहन: सुरक्षित परिवहन, डेकेयर सुविधाएँ, और लचीले काम के घंटे महिलाओं की भागीदारी बढ़ा सकते हैं। महिला उद्यमियों के लिए वित्तीय सहायता भी उपयोगी होगी।
स्थानीय रोजगार को बढ़ावा: हरियाणा सरकार को स्थानीय युवाओं को गुरुग्राम में रोजगार के लिए प्रोत्साहन पैकेज और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने चाहिए।
तकनीकी एकीकरण: उद्योगों को स्वचालन और एआई अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही मजदूरों के लिए पुनः प्रशिक्षण (रेस्किलिंग) कार्यक्रम भी लागू किए जाने चाहिए।
अन्य शहरों से प्रेरणा
गुरुग्राम जैसी चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य शहरों, जैसे बेंगलुरु, मुंबई, और हैदराबाद, ने कुछ प्रभावी उपाय अपनाए हैं, जिनसे गुरुग्राम प्रेरणा ले सकता है:
बेंगलुरु: बेंगलुरु ने प्रवासी मजदूरों के लिए "कर्नाटक प्रवासी कल्याण योजना" शुरू की, जिसमें मजदूरों को पंजीकरण, स्वास्थ्य बीमा, और कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। गुरुग्राम में भी ऐसी योजना लागू की जा सकती है, जो प्रवासियों को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करे।
मुंबई: मुंबई ने अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूरों के लिए "श्रमिक आधार कार्ड" शुरू किया, जिसके माध्यम से मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा और बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। गुरुग्राम में भी ऐसी डिजिटल पहचान प्रणाली लागू की जा सकती है।
हैदराबाद: हैदराबाद ने महिलाओं की श्रम भागीदारी बढ़ाने के लिए "वर्क फ्रॉम होम" और "शटल सर्विस" जैसी योजनाएँ शुरू की हैं। गुरुग्राम में भी कॉरपोरेट्स और सरकार मिलकर ऐसी सुविधाएँ प्रदान कर सकते हैं।
दिल्ली: दिल्ली सरकार ने "दिल्ली रोजगार बाजार" पोर्टल शुरू किया, जो नियोक्ताओं और मजदूरों को जोड़ता है। गुरुग्राम में भी ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया जा सकता है, जो स्थानीय और प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसर प्रदान करे।
निष्कर्ष
गुरुग्राम का श्रम बाजार एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। पुलिस कार्रवाई, अनौपचारिक रोजगार की प्रबलता, और कौशल बेमेल जैसी चुनौतियों ने शहर की अर्थव्यवस्था और दैनिक जिंदगी को प्रभावित किया है। लेकिन बेंगलुरु, मुंबई, और हैदराबाद जैसे शहरों के अनुभवों से प्रेरणा लेकर गुरुग्राम इन समस्याओं का समाधान कर सकता है। पारदर्शी सत्यापन, अनौपचारिक क्षेत्र का औपचारिकीकरण, और कौशल विकास जैसे कदम गुरुग्राम को एक समावेशी और समृद्ध आर्थिक केंद्र बनाने में मदद करेंगे। सरकार, निजी क्षेत्र, और समुदाय को मिलकर एक संतुलित और टिकाऊ श्रम बाजार की दिशा में काम करना होगा।
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